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*विषय:-...
*विषय:-बचपन*
बचप...
*विषय:-बचपन*...
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*विषय:-बचपन*
बचपन की जिंदगी क्या थी हसीन।
बस अब तो खुदपर भी ना रहा यकिन।
जिने मे इसे हुआ करता था कितना जुनून।
अचानक न जाने कहा खो गया है सुकून।
_© नेहा रवींद्र रनाळकर (नवटे)
”
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