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*विषय:-...
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*विषय:- मुस्कान*
*शीर्षक:- किसी को पता भी नहीं*
हर जुल्म सहकर भी वह अपनी
सुंदरसी मुस्कान बिखेरती रही ।
कब लाश बनी पैतीस टुकडोंमे
कट गयी किसे पता भी नही ।।
_©सौ.नेहा रवींद्र रनाळकर (नवटे) नाशिक.
”
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