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उसने अपनी...

उसने अपनी येड़ियों से मेरी बंजर और चटियल ज़मीेन को रगड़ा था, जिसमें से पानी की एक धारा फूट निकली थी, जो आज भी बहती रहती है किसी आब-ए-ज़मज़म की तरह, बस फ़र्क ये है कि ये पानी खारा है, शिफा बख़्श नहीं।

By Premnath Yadav
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