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मज़हबी लोगों ने मज़हब की इतनी भद्दी शक्ल बना दी है कि अक़लमंद, गौर ओ फिक्र करने वाला और तार्किक ज़़ेहनियत का तबका मज़हब की तरफ रुख ही नही करता, इसलिए कि वह मज़हबी लोगों को देखते हुए मज़हब को दकियानुसी, क़दामत पसन्दी और जेहालत का सर चश्मा शुमार करता है।
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