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उसकी बस्ती...

उसकी बस्ती में मेरा आना,फ़िज़ूल था, उस ओर जान गँवाना फ़िज़ूल था, किसी के मुगलिया तख़्त को नहीं पलटना था मुझे, मेरा इंसानो को इंसान समझ जाना फ़िज़ूल था.... ✍️

By Gaurav Shukla
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