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तुझे चाह के...

तुझे चाह के कुछ ना चाहा, ना ख्वाहिश कोई बाकी रही, तेरे प्यार तेरी दोस्ती से ही हरदम मेरे दिल की यारी रही, रोम रोम महका गुलाब जैसे हर अंगड़ाई में धड़कन मचली सोचा तो सामने तेरा अक्स था मानों बरसों की मुराद पूरी हुई। Nitu Mathur

By Nitu Mathur
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