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Share with friendsडायरी के पन्नों से आती है खुशबू तेरी स्याही के लफ्ज़ याद दिलाते हैं तेरी हर कलाम में ज़िक्र बस तेरा है यारा मेरी ग़ज़ल का अंदाज़ है सूरत तेरी।
तुझे चाह के कुछ ना चाहा, ना ख्वाहिश कोई बाकी रही, तेरे प्यार तेरी दोस्ती से ही हरदम मेरे दिल की यारी रही, रोम रोम महका गुलाब जैसे हर अंगड़ाई में धड़कन मचली सोचा तो सामने तेरा अक्स था मानों बरसों की मुराद पूरी हुई। Nitu Mathur
हर गहरे जख्म का मरहम भी तेज असर करता है मेरे दिल का हर कोना तेरी दवा से ही सांसे भरता है दौड़ता है रगों में लहू भी इस क़दर डर डर कर मेरी की जैसे हर मील पर ये बख्शी जान का कर्ज़ भरता है। ~ नीतू माथुर