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गरम पश्मीने में सारी खुशियां समेट ली
कुछ बरफ में छूट गए वो ग़म किसके हैं
पर्बतों में बाहें फैलाती एक खुशनुमा नज़्म सुनी
वादियों में गूंजता मगर वो फसाना किसका है,
हर खेल में बाज़ी मार गए हैं हम मग़र
जो अब तक ना सुलझी वो पहेली कौनसी है
होठों पे खिलखिलाती हंसी सबने देखी है
दिल में पाले हुए हैं जो दर्द सबने.. किसके हैं !
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