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सूक्ष्म दृष्टि से देखे जाएं तो बहुत से अच्छे दिखते कार्य भी वास्तव में उतने अच्छे नहीं होते हैं।
यदि स्थूल दृष्टि में अच्छे लगते कार्य ही किए जाएं तब भी समाज अधिक सुखद हो सकता है।
विचारणीय बात है कि वास्तविक अच्छे कर्म किए जा सकते तो समाज एवं हमारा जीवन कितना सुखद होता
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