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साँसों...

साँसों का सिलसिला इस पल है, अगले पल नहीं ज़िन्दगी का ऐसा ही है, यह आज है तो कल नहीं आना-जाना मुनहसिर है परवरदिगार की रज़ा पे अगर इसे मस्ला समझो तो इसका कोई हल नहीं eMKay

By मोहनजीत कुकरेजा
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