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ख़ुद के...

ख़ुद के लिए न सही, चलो दूसरों के लिए फ़रियाद कर लें मुनासिब घड़ी है, दोनों जहाँ के मालिक को याद कर लें... कब तक रहेंगे क़ैद हम, मोह-माया की बेड़ियों में जकड़े अब भी वक़्त है, इन बंदिशों से खुद को आज़ाद कर लें... eMKay

By मोहनजीत कुकरेजा
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