“
प्यार तो वो है जो ना मिलने पर
मिलने से अधिक मुकम्मल लगे,
जब आंखों से खून बहे,
होंठ सिसकन कि धुन सुनाए,
दिल के गहरे समंदर में
यादों की सुनामी तूफ़ान लाए।
तभी सांसों की माला पे
पी का नाम आए,
मन मानो ठहरे पानी की तरह
शांत हो जाए
और आत्मा से
उस परमात्मा को
एक ही पुकार हो,
की वो जहां भी रहे
उसे बस मेरी उमर लग जाए।।
”