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पहले सा...

पहले सा होली में अब रंग नहीं दिखता है। हर्ष उल्लास और उमंग नहीं दिखता है। खो गई खुशियों की वजह भी अब- अब किसी मन में वो तरंग नहीं दिखता है। रिपुदमन झा "पिनाकी" धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित

By रिपुदमन झा "पिनाकी"
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