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मशीन जो इनपुट से, अधिक मात्रा में एवं उपयोगी आउटपुट देती है उसे ‘इफिसिएंट मशीन’ कहते हैं।
इसी प्रकार हम, मनुष्य के उस जीवन को भी ‘इफिसिएंट लाइफ’ कह सकते हैं जिसमें ‘वह’ समाज और मानवता से स्वयं किए ग्रहण से अधिक अच्छा तथा उपयोगी कुछ प्रदाय करता है।
हमें हितग्राही (Beneficiary) की अपेक्षा हित प्रदाता (Provider) बनना चाहिए
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