STORYMIRROR

मन दुःखी,...

मन दुःखी, हृदय व्यथित है आत्मा विचलित, नयन अश्रुपूरित है हो रहा चीत्कार चारों और असमय की आहों से कान हुए व्यथित है काल जो निगल रहा है सतत जिंदादिल शख्सियतों को कंही तो भ्रष्टाचारी चित्रगुप्त है जो स्टेटस होता था खुशियों को बांटने का रास्ता वही आज देखने में नयन भयभीत है "कुहु" ज्योति जैन इंदौर

By Kuhu jyoti Jain
 383


More hindi quote from Kuhu jyoti Jain
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments