“
जब किसी की हर बात हमें बकवास लगती है तब कारण प्रायः उससे हमारी ईर्ष्या होती है।
अगर इस ईर्ष्या को वह चुनौती जैसा ग्रहण करता है तो
वह अपने में पहले से भी अच्छी बातें लाता चला जाता है
और उससे हमारी ईर्ष्या बढ़ती चली जाती है।
इस प्रकार से हमारी ईर्ष्या उसकी प्रगति
और हमारी पीड़ा में निमित्त हो जाती है।
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