“
इतने अच्छे क्यूं हो
ये तो अच्छी बात नहीं
कारे मसीहा क्यूं करते हो
क्या ज़ख्मों से नहीं डरते हो
ज़ुलेखा तो कब का जा चुकी
यूसुफ यूसुफ क्यूं करते हो
मैं तो जेल ही में रहा कब से
रिहाई की तमन्ना क्यूं करते हो
ख़्वाब देखा अज़ीज़ ए मिस्र ने कोई
ताबीर बतलाने तुम क्यूं जाते हो
इतने अच्छे क्यूं हो
ये तो अच्छी बात नहीं
”