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हमारी आलोचनाएं करने वाले लोग मिलते हैं। हमें समझना होता है आलोचना ईर्ष्यावश तो नहीं की जा रही है।
अति ईर्ष्यालु कोई व्यक्ति ज्ञानी नहीं होता है। हमें आशा करनी होती है कि जो ज्ञानी होते हैं उनकी की गई आलोचनाएं हममें सुधार लातीं हैं।
हमें इस विश्वास सहित जीवन यात्रा पर बढ़ते रहना होता है कि ईर्ष्यालु व्यक्ति हमसे आगे दिखकर भी मानवता में पिछड़ रहा होता है
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