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हम आजीवन सीना तानकर, सिर ऊँचा रखकर सीधे नहीं चलते रह पाते हैं। आयु के साथ हमारी गर्दन, रीढ़, कमर या घुटनों की परेशानी, तन कर चल सकने में बाधक बन जाती हैं। निस्संदेह तब हमारा झुककर चलना बुरा नहीं होता है।
यह बुरा तब होता है जब हम, हमारे किन्हीं बुरे कर्मों के कारण अपना आत्मसम्मान खोते हैं एवं सिर झुकाकर, झुके हुए चलने को विवश होते हैं।
हमारे प्रयास सदा अपने आत्मसम्मान बनाए रखने के होना चाहिए
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