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हे...

हे प्रभु धर्म दान और पुण्य बहुत है मेरे देश में फिर भी गरीबी, दरिद्र्य, धन का अभाव ये सब बहुत सहा है मेरे देश ने । यहां पैदा होने वाले नब्बे प्रतिशत बच्चों को ये तीनों चीजें उपहार में मिलती हैं। कृष्ण की तरह तीन मुट्ठी चावलों के जैसे इन्हें ऐसा चबाना चाहता हूं। कि दोबारा ये तीनों मेरे मुल्क में सदियों तक कदम रखने की हिमाकत ना कर सकें।

By Nishant kumar saxena
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