“
बहुत सिद्दत से उसने कहा,क्यों भीड़ में खुद को ढूंढ रही हो।
लाखों है तुम जैसे क्यों ऊँचाई से कूद रही हो।
बस खुद को दे ये हौसला इतना कहा
सच कहा तुमने उचाई से तो कूद रही हूँ
फ़र्क सिर्फ इतना है कि तुम मुझे जमीन पे ला रहे हो।
औऱ मैं आसमान को देख रही हूँ
”