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बग़ावत का...

बग़ावत का शोर गूंजता है ज़हन में , ख़ामोश है फिर रहती , दर्द हूकँता है जिस्म में उसके चुप्पी ओढ़े फिर भी है रहती । @ रेणुका (AAS)

By Renuka Chugh Middha
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