ख़्यालों , कल्पनाओं और कुछ कड़वी मीठी हक़ीक़तों को लफ़्ज़ों मे ढालने का इरादा किया है । आपके मन को छू जायेंगे ये पूरा यक़ीं है । आप भी ....केवल फोलो नही करे वरन् अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया अवश्य दे। आपकी प्रतिक्रिया मेरी लेखनी को और धार देगी व लेखन में प्रोत्साहन मिलेगा । बेहद शुक्रिया आपका 🙏🏻
Share with friendsनारी बग़ावत का शोर गूंजता है ज़हन में .........., ख़ामोश है फिर रहती , दर्द हूकँता है जिस्म में उसके ...........चुपी ओढ़े फिर भी है रहती । क्यू है बेबस इतनी,अपनों के ही ख़ातिर ..अपनों ने ही छली है , बना पत्थर का खुद को , हँसते लबों से ज़ख़्मों को है सिलती रहती ।। @रेणुका #Happy Women’s Day 🌺
बग़ावत का शोर गूंजता है ज़हन में , ख़ामोश है फिर रहती , दर्द हूकँता है जिस्म में उसके चुप्पी ओढ़े फिर भी है रहती । @ रेणुका (AAS)
तेरे साथ गुज़ारा हर वो लम्हा , सदियों तक याद रहेगा । तेरा वक़्त ,मेरी सदा यूँ मुझमें , बनके इक याद गूंजता रहेगा। @ रेणुका