“
बच्चे योग्य बनकर, माँ-पिता को उस ग्लानिबोध से उबार देते हैं,
जिसमें बच्चे के पालक होकर वे,बच्चों की खुशी के लिए उनकी चाही हर वस्तु नहीं दिला पाने की असमर्थता के कारण जी रहे होते हैं।
माँ-पिता को यह बोध कष्टकारी होता है कि उन्होंने, बच्चों को जन्मा तो है मगर उन्हें खुश नहीं रख पाए थे।
rcmj
”