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अपने लिए महत्व पाना, सहज मानव प्रवृत्ति है।
ऐसे में जब हम किसी को देते आए महत्व को कम करने लगते हैं तो वह, अपने को महत्व देने वाले अन्य लोगों को ढूंढने लगता है।
दुनिया में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो उसे महत्व दे सकते हैं।
महत्व कम होने से परस्पर प्रेम कम हो जाने में निकट के रिश्ते भी अपवाद नहीं होते हैं।
तथा
किसी मनुष्य में महत्व पाने की प्रवृत्ति न होना, अपवाद में ही देखने मिलती है ....
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