“
अब तो पापा भी मजबूर हैं, कि पैसे नहीं हैं,
अब तो बहनें भी उदास हैं, कि पैसे नहीं हैं,
और भाई भी जिद पर है, पर पैसे नहीं हैं,
और मैं एक बेटा, एक भैया, दिन रात जगता हूँ...
चंद लोग हैं जो मुझे तकदीरवाला समझेंगे,
कौन जाने सिसक मेरे स्याह रातों की ....
”