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*२७/०१/२२: पौष का पोषण: जब तक वह मेरा उद्धारकर्ता है और मैं उसकी शरण में जाता हूं, तब तक कोई भी शक्ति मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती!*
*०६/०२/२१: पौष की प्राप्ति: मैं चलता रहा हूं, बिना लक्ष्य के! आपको लक्ष्य प्राप्त हो!*
*रसिक व परमार "रव" वसाई(फिंचाल), पाटन ऊ.गु (२४/०१/२५)*
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