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*२२/०१/२५:...

*२२/०१/२५: पौष के प्रहार: मेरी पसंदीदा चीज़, व्यक्ति, पदार्थ या प्रकृति आप हैं! मैं मोह से बाहर नहीं जाना चाहता!* *०२/०२/२४: पौष के पगले: परदे के पीछे के अमूल्य मानव, सन्मुख आ जाओ! हर किसी को पहचान दे दूं!* *१४/०१/२३: पौष का प्रवास: सर्वश्रेष्ठ योद्धा , 'भीष्म'-बनने का विचार से ही मै पलट गया! बाण शैया पर सो रहने की ताकत नहीं है!* *रसिक व परमार "रव" वसाई(फिंचाल), पाटन ऊ.गु (२२/०१/२५)*

By RASIKBHAI PARMAR
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