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*२४/०१/२५: पौष के प्रहार: जहाँ प्रेम होगा, सज्जनता वहाँ आयेगी ही! ये इसकी ताकत है! तो, चाहते रहें!*
*०४/०२/२४: पौष के पगले: लक्ष्य नहीं, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं! विपरीत स्थिति में, तुम स्मृति के रूप में मेरे साथ रहते हो!*
*१६/०१/२३: पौष का प्रवास: पहले मैं पसंद करता था, तुमको! अब चाहता हूं! आगे की कोई जानकारी नहीं है!*
*रसिक व परमार "रव" वसाई(फिंचाल), पाटन ऊ.गु (२४/०१/२५)*
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