न वो आवाज़ में रस है न वो लहजे में खनक कैसे कलियों को तेरा तर्ज़-ए-तकल्लुम आए न वो आवाज़ में रस है न वो लहजे में खनक कैसे कलियों को तेरा तर्ज़-ए-तकल्लुम आए