आदमी के हर ज़हर निकाल कर इक नये समाज को तुम नींव दो। मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं तुम हमारे ग... आदमी के हर ज़हर निकाल कर इक नये समाज को तुम नींव दो। मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को...