वक्त
वक्त
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वक्त की रंजिश को तू ऐसे ना खोने दे
हौसलों को ऐसे ना सोने दे,
तू था वो ही जो आज है
खुद को ऐसे ना अंधेरे में गुम होने दे।
सूरज तो निकलेगा तेरे लिये भी
किसी जिंदगी के कोने मे,
ईद का चांद साथ देगा तेरा
एक दिन तेरे रास्तों में,
इंतेजार कर उसका
खुद को ऐसे ना अंधेरों मे गुम होने दे।
तू आया है यहां किसी काम से
वो नजर ढूंढेगी तुझे उस दिन
वो शहर रुकेगा तेरे लिये,
राह देख उसकी
खुद को ऐसे ना अंधेरों मे गुम होने दे।
तेरे जैसे हजारो होंगे जहाँ में
भीड़ का हिस्सा बन तू भी
क्या पता वो ही तुझे एक दिन सर पे उठा ले,
कुछ दिन ढलने दे उसके लिये
खुद को ऐसे ना अंधेरों में गुम होने दे।