उड़ान सपनो की
उड़ान सपनो की
1 min
486
इस दिल ने कहा आज,
चल फिर कुछ गलतियाँ करें,
ना समझे रीत दुनिया के,
फिर से गिरें हम और फिर से उठे।
वक्त संजो रहा कई रंग अपने,
चल इंद्रधनुष की खोज करें,
प्रकृतिक है जो उससे मिलें,
वरना बेरंग ये ज़िन्दगी लगे।
हसरतें वो क्यों तय करें,
ज़रुरतें दिल की कैसे कोई और जानें,
कई खरोंचे है वास्तविकता की,
फिर भी अविचल मन किसीसे ना डरें।
आसान नहीं यूँ उडा़न सपनो की भरना,
वो कहते है ज़िन्दगी बहुत कठोर है,हँस देती है जाह्नवी यूँ ही बात सुनकर,
जो आसानी से मिलें वो मेरा नहीं हैं।
पहलू कई है राही के सफ़र में,
कहीं भटक जाए तो कभी उभर जाए,
सय्यम अपना ना खोए जो इस दौरान,
वहीं मनुष्य अपनी मंज़िल को पाए।
दुनिया के आईनें भी दिखा जाते हैं,
कभी हँसा जाते हैं कभी रुला जाते है,
हताश ना हो तू परछाईयों से,
वहीं तो हमें बहुत कुछ सिखा जाते हैं।
