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RAHUL YADAV

Others

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RAHUL YADAV

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त्याग

त्याग

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जिम्मेदारियों में दफन ,हम कैद परिंदे,

सबको हँसाते हम, खुदा के नेक बंदे,

घर के लिए देखो घर छोड़ आया,

बचपन की गलियां, खिलौनों से मुह मोड़ आया,

ख्वाइशें सोची ही थी कि एक-एक तिनका जोड़ लाया,

देख ना मां मै तेरे लिए क्या लाया।

अपनों के लिए अपनो को ही जुदा कर दिया,

देखो ना, अपनी मोहबत को भी खफा कर दिया।

हंसाया सबको और तुझे ही रिहा कर दिया,

पता है मेरी मोहबत ये बड़ा गलत कर दिया।


जिम्मेदारियों में दफन ,हम कैद परिंदे,

सबको हँसाते हम, खुदा के नेक बंदे,

सपनो में भी अब वो दिन सुहाने नहीं आते,

माँ की डाटें, पापा उठाने नहीं आते,

खुद होकर तैयार निकल लेता हूं मंजिल को,

अब वो यार पुराने नहीं आते,

लौटता हूँ तो माँ तेरा साया नहीं होता,

ये शहर है साहब यहां अपना-पराया नहीं होता।

रास्ते यहां गूगल होते है याद नहीं,

बड़ा शहर है साहब मगर वो बात वहीं।


जिम्मेदारियों में दफन ,हम कैद परिंदे,

सबको हँसाते हम, खुदा के नेक बंदे,

शाम ढलती है साहब मगर वो रात नहीं आती,

माँ देख ना तेरे हाथ की चाय नहीं आती,

टूटा हूँ मगर झूठी अरदास नहीं आती,

झूठ बोला था माँ कि तेरी याद नहीं आती,

ख्वाबों को जला कर घर रोशन कर दिया,

हाँ पापा, तुमने मुझको बड़ा कर दिया,

रोए मगर किसी को बताने नहीं आए,

देखो ना भाई तुम भी हँसाने नहीं आए,

बोलना मत बहन क्यों राखीं बंधाने नहीं आए,

झूठ बोल देता मगर बहाने बनाने नहीं आए।


जिम्मेदारियों में दफन ,हम कैद परिंदे,

सबको हँसाते हम, खुदा के नेक बन्दे।


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