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PURUSHOTTAM VYAS

Others

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PURUSHOTTAM VYAS

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समझों रंग बिरंगी होली आई….

समझों रंग बिरंगी होली आई….

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बच्चों ने हुडदंग मचाया

समझो रंग बिरंगी होली आई

आज बुढापे पर फिर

जवानी छाई

समझो रंग बिरंगी होली आई।


देवर भी हाथ मल रहा

मोटी भाभी पीहर गई

संपादकजी के भी रंग रूठे थे

होली की रचना नही पसंद आई

समझो रंग बिरंगी होली आई।


गोरी के गुलाबी गालों में

काला-रंग चढा था

टूटी-चप्पल फूटी-बाल्टी

समझो रंग बिरंगी होली आई।


वो चुपचाप थी याद पिया की

आई थी

सबको सब खुशीयाँ मिले

यही कविता गायी थी।


पानी कोई भेद नहीं करता

सब रंग में मिल जाता

अपने-पराये भेद को मिटा कर

ब्रज मे कान्हा होली खेलत

समझो रंग बिरंगी होली आई ।



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