सितारा
सितारा
जब मैं बच्ची थी
तो टिमटिमाता चमचमाता सितारा बहुत अच्छा लगता था
इसीलिए मैं कहती थी कि-
माँ मैं बड़ी होकर सितारा बनूँगी,
जब भी मैं ऐसा कहती थी
आपके होटों पे मुस्कराहट का एक फूल खिलता था,
क्यों कि वह नामुमकिन-सा आप को लगता था।
वो रात गये ,दिन गये , और बहुत साल भी गुजर गये।
अब डाक्टर बन गयी मैं ...
तब भी मैं सितारा ही बनना चाहती थी।
वो सितारा नहीं, जिसकी चमक से सब प्यार करते हैं,
बल्कि वो सितारा जो ख्रुद टूटकर हमारी ख्वाहिश पूरी करता है।
शायद मेरी ये ख्वाइश आज पूरी हुई।
लोगों को बचाते बचाते पता ही नहीं चला कि
कब मैं खुद बीमारी पड़ गई
और मौत के मुह में जाने लगी।
अगर मुझे जिंदगी दोबारा जीने का मौका मिलता
तब भी शायद मैं यही रास्ता चुनती।
क्यों कि देर से ही सही मुझे सितारों का सही मतलब पता चल ही गया।
आज मैं हूँ... कल मेरी यादें होंगी..
अगर मैं न रहूँ ..तो आपकी आखों में बरसातें होगीं।
कल मेरी याद आयेगी तो तारों को देखना माँ ..
और जब भी तारों को देखोगी ..मुझे याद करना जरूर ।
क्योंकि मैं टिमटिमाती चमचमाती क्यूट सी सितारा ही बनूँगी ।
