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रजत सरला मिश्रा

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रजत सरला मिश्रा

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शिव

शिव

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शिव के एक नाद से हुआ ब्रहाण्ड का निर्माण,

सारे जीवों उपस्थित शिव बनकर रहते प्राण!


भूत भविष्य वर्तमान शिव के तीन नेत्र हैं

कण कण मे शिव बसे शिव के सारे क्षेत्र हैं!


शिव मे लय हैं सारे तत्व बीज,अणु और घनत्व,

अनन्त को जो परिभाषित कर दे वही है शिवत्व!


सत्य शिव की आत्मा है शिव देवो के परमात्मा है,

अघोर,घोर , चहुओर है शिव ही विश्वात्मा है!


एक शिव ही सत्य है बाकी सब है छण भंगुर,

आदि के आरम्भ के शिव ही है प्रथम अंकुर!!



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