रिश्ते और बादल
रिश्ते और बादल

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चुपके चुपके से आ जाते
ये बादल नीले गगन में
आशाओं को जगाकर बह
जाते दूर हवाओं के साथ
जैसे टूट जाते कुछ वादे
और छोड़ जाते अपना
बोलने वाले वो पराये हाथ।
आने के साथ ही शोर खूब
मचाते
पर उम्मीदों पर ये कम ही
खरे उतर पाते
थोड़ा गरजते थोड़ा बरसते
पर किसी ने सही ही कहा
ज्यादा गरजने वाले बादल
और रिश्तों में लोग
कम ही टिकते।
छाये रहे वो आसमान में
जैसे मुखौटे छाये रहते हैं
चेहरों पर
छुपाये थे अपने अंदर ना
जाने कितना पानी
जैसे आँखें छुपाई रहती हैं
आँखों में हर एक बूंद
आँसू की कहानी।