प्रकृति की महिमा
प्रकृति की महिमा
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प्रकृति से नित जीना सीखो
जो हर पल फर्ज निभाती है।
पग- पग पर हम सबको,
जीने की राह दिखाती है।।
सूरज की किरने धरा पर,
नित प्रकाश दिखाती हैं।
हवा पानी नित दुनिया को,
जीवन नया दिलाती है।
छोटे-छोटे पौधों को देखो!
नित अपनी धुन में हंसते हैं।
छोटे छोटे जीव धरा पर,
नित नई कहानी रचते हैं।
पर्वत सदा प्रहरी बनकर,
अपना फर्ज निभाता है।
सागर अपनी गहराई की,
सदा कहानी गाता है।
फिर तू मानव धरती पर
आकर क्यों गम से घबराता है,
मानव तो चांद पर जा कर
अपना झंडा लहराता है।
