पिता
पिता
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संस्कार से है संसार
ये हमेशा सिखाते थे।
में हूं बड़ी भोली
मुझे बहुत समझाते थे।
प्यार तो खूब किया
पर जताने में ज़रा कतराते थे।
पिता मेरे सब से अलग ही थे
उनका जीवन देखूँ
तो एक जंग जैसा लगता है।
वो लड़ते रहे अंत तक
ये नामुमकिन सा लगता है।
परवाह कि हमेशा ही
ना कभी गलत राह दिखाई,
हमेशा मुझे सब से ज़्यादा
उन्हीं की याद आयी।
वो है तो सुकून सा मिलता है
वो ना हो तो मुझे
कहां चैन पड़ता है।
दांत भी खाई उनकी
पर बैर नहीं किया
क्यूँकि उन्होंने है मुझे जन्म दिया।
बातों पर जाऊँ तो
नहीं उनसे समझदार कोई
और दिल पर तो है वो
परिवार में सबके ही।
जीवन में दे पाऊँ हर सुख
अब यही दुआ है मेरी।
ए खुदा इस लायक बना
हो इतनी काबिलियत मेरी,
तू चाहे तो ना मुमकिन भी
मुमकिन हो जाता है
मेरे पिता हमेशा ख़ुश रहे
ये तुझसे दुआ है मेरी।