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Chitra Tidke

Others

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Chitra Tidke

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फागुन में सावन

फागुन में सावन

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आज कहाँ से फिर आ पहुँचा

फागुन में सावन!

सुबह उड़ी थी धूल

शाम को घिर आए बादल,

बासंती रातों में बरसा

किन आँखों का जल,

पतझर की नंगी डालों में पुलक उठा यौवन,

आज कहा से फिर आ पहुँचा फागुन में सावन!

सौंधी- सौंधी मिट्टी महकी

गमक उठा उपवन,

बिजली कौंधी असमान में

धरती में सिहरन,

होली में कजली गाने को फिर ललचाया मन,

आज कहा से फिर आ पहुँचा फागुन में सावन।

हरियाली का स्वप्न

थिरकने लगा पुतलियों में,

आलियों का उन्माद

कि शोखी आई कलियों में,

तपन बिना क्या मूल्य तुम्हारा, जीवन-धन रस- घन,

आज कहाँँ से फिर आ पहुँचा फागुन में सावन!



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