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Urmila singh

Others

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Urmila singh

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पाती - एक सैनिक के नाम.....

पाती - एक सैनिक के नाम.....

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प्रिय..

तुम जा रहे थे..

कह न पाई कुछ तुमसे..

सामने सब के !


पैरों में झुक कर तुम,

आशीर्वाद ले रहे थे

माँ - बाप से अपने !

माथे को चूम माँ ने,

डब - डबाई आँखों से,

लंबी उमर का आशीर्वाद दे,

गले से लगा लिया !


बिलखती बहन के.

आंसुओं को पोंछते हुए

कहा तुमने....

"बहादुर सैनिकों की बहनें,

रोया नहीं करतीं

दुआओं के पुष्प,

बिखेरती हैं - राहों में

तेरी राखी के धागे,

हौसला देंगे युद्ध में.. मुझे..!"


जाते - जाते तुमने

मेरी आंखों में झाँक कर देखा..!

सर्वांग हिल गया.. पल में,

अश्कों को पी...

अधरों पर मुस्कान लिए..,

प्रिय ! विदा किया मैंने तुझे..!

कुछ कह न पाई तुमसे,

सामने सबके....!


आज विकल हृदय का

द्वार खोलती हूँ

जो कह न पाई सामने सबके,

इस पाती में कहती हूँ

रणभूमि में जाने से पहले,

प्रिय ! पाती मेरी पढ़ लेना,

माँग मेरी सिंदूर से ,

भरा था जो तुमने,

रक्षा कवच बनेगा रण में..!


मेरी चूड़ियों की खनक,

न होगी ज़ंजीर पैरों की तेरे..!

ये शंख ध्वनि बनेगी,

हिला देगी सीना दुश्मनों का...!


तुम तन से लड़ोगे रण भूमि में..

मैं शक्ति बन...

मन से लड़ूंगी संग तेरे...!


मातृभूमि की विजय का

उपहार ले जब तुम

पास मेरे आओगे,

माथे पर तुम्हारे..,

विजय तिलक लगा

सिमट जाऊँगी

विजयी बाँहों में तेरे....!!



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