मेरी दुनिया....
मेरी दुनिया....
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जिसके मोह के आंचल पर,
है मेरी दुनिया कुर्बान,
जिसके आशीष के छत के नीचे,
बस्ती मेरी जान,
जिसके रहने से है बसेरा हमारा,
स्वर्ग के समान,
चारों लोकों की खुशियों में,
रहती जिसकी मधुर मुस्कान।।
जिंदगी से हारने पर,
जिसने फिर से जीना सिखाया,
हर आंसू पोंछ दुनिया की सब खुशियां देकर,
जिसने एक बेहतर इंसान बनाया।।
जिसकी मुस्कान देख,चहक उठता है ये दिल,
जिसके आंसू देख,बिखर जाता है ये दिल,
रात-रात भर जागकर, जिसने रखा मेरा ध्यान,
वो है मेरी प्यारी मम्माजान।।