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Saurabh Shukla

Others

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Saurabh Shukla

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मैं राम हूं।

मैं राम हूं।

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मैं न हिन्दू न मुसलमान हूं,

न सिख न ईसाई न बौद्ध हूं,

न जानवर ही हूं, न कोई इंसान हूं,

मैं राम हूँ।


मैं सोच हूं, एक विचार हूं,

तू खोजे है मुझे मूरत में

पर मैं तो बे आकार हूं,

मैं राम हूं।


मैं नफरत नहीं मैं प्यार हूं,

मैं हवा हूं, मैं अग्नि हूं, मै बूंदों की बौछार हूं,

मैं तेरी साढ़े चार एकड़ की जमीन में नहीं,

मैं ये समस्त संसार हूं,

मैं राम हूं।


दिख रहा है

तू जो कर रहा है दिख रहा है।

मेरे नाम पे कैसी सियासत चल रही है

लोग काटे जा रहे हैं, दुनिया जल रही है।

सांस लेने को तुझपे साफ हवा नहीं है

गोरखपुर में मरते बच्चो को देने के लिए दवा नहीं है,

तेरे बंजर खेत हैं घुटता हुआ किसान है,

इस सब के बाद भी तुझे साम्प्रदायिकता पे गुमान है?

तू कैसा इंसान है?


तूने वो मंदिर बना भी लिया तो क्या,

मेरे नाम पे सोना लगा भी लिया तो क्या,

मुझे लगता नहीं,

मेरे आने लायक तूने ये संसार छोड़ा है,

मेरी सीख मेरे विश्वास को तोड़ा है।


मूरत के रूप में तेरे घर में रखा, मैं बस एक सामान हूं,

मैं राम हूं।

मैं राम हूं।


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