मां
मां
ज़िंदगी की इस भाग-दौड़ में,
कुछ कर गुज़रने की होड़ में,
ना जाने कितने पड़ाव आये-गये
हर राह पर कुछ तार मुझसे जुड़े,
हर मोड़ पर कुछ छोड़ आयी मैं,
ज़िंदगी की इस भाग-दौड़ में....
करवट ऐसी समय ने आजकल ली,
जीवन की रफ़्तार कुछ धीमी हुई,
थोड़ा मैं रुकी, ज़िंदगी भी सुस्ताई,
बंद अलमारियाँ फिर खुलने लगी,
वो यादें जो कहीं कोनो में थी दबी,
लेने साँस बाहर को निकलने लगी ।
भीनी एक महक ने मुझको भरमाया,
यूँ ही एक आँसू आँखों ने छलकाया,
माँ पास से होकर निकली हो मानो,
कुछ ऐसे अहसास से मन भर आया,
मेरा नाम प्यार से पुकारा हो माँ ने,
कानों में कुछ ऐसा रस घुला पाया ।
मेरे आँसू को आँचल से पोंछ दिया जैसे,
हाथ पकड़ मुझको पास बिठाया फिर से,
मेरे बालों में हाथ फिरा माँ धीरे से मुस्काई,
मैं तो हरदम पास हूँ तेरे, मैं तेरी परछाईं,
तेरे हर इक आँसू से आँख मेरी है भीगी,
तू जागी, मैं सोई कोई रात ऐसी ना बीती।
तेरी हर जीत पर मैं सब से ज़्यादा इत्तराई,
तेरी हर मुस्कान से मैंने अपनी हँसी सजाई,
तेरी हर तारीफ़ सहेज रखी अपने दिल में,
तेरा ग़ुस्सा-गिला सब बांधा मैंने आँचल में,
कितना छुपा, तेरे मन की हर बात मैंने जानी,
तू थक कर बैठ गयी, पर मैंने हार ना मानी ।
तू हो गई है बड़ी, ऐसा दुनिया कहती है,
पर दिल में मेरे अब भी नन्ही परी रहती है,
गालों पर हल्की थपकी दे, फिर माँ बोली,
बहुत हो गयी बातें, रात होने को है आयी,
भूल कर सब चिंता, तू चैन से सो लाड़ली,
सुख हो, चाहे दुःख, हर पग साथ तेरी माई।
