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Rajithamadhu Akula

Others

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Rajithamadhu Akula

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माँ प्रकृति

माँ प्रकृति

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कितनी खुबसूरत ये प्रकृति हमारी ,

कितनी खुबसूरत ये प्रकृति हमारी 

जैसे उसमे कोई जादु हो , सुंदरता का जादू

कितनी शांत रहती है ये 

कितनी शांत , है बहुत सुंदर और बहुत शांत 

जैसे मेरी माँ।


दिखती है बहुत कमज़ोर ,

पर है बहुत मजबूत ,

जैसे मेरी माँ।


देती है हमें बहुत सारी चीजें ,

बिना हमसे कुछ पाने की आस में

जैसे मेरी माँ।


हम काटते हैं पेड़ , बिना किए परवाह उसकी 

पर वो तब भी देते है हमें बहुत सारे उपहार ,

जैसे जीने के लिए सबसे मुख्य प्राणवायु ,

खाने के लिए फल आदि।


हैं उसमे बहुत सारी विशेषताएँ , जिसे हम जानते तक नहीं 

जैसे ऐसी मेरी माँ भी है गुणों की खान ,

पर है बहुत शांत ,

हमारी ये प्रकृति , हमारी ये प्रकृती।


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