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Manisha Dodeja

Others

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Manisha Dodeja

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माँ एक दुनिया

माँ एक दुनिया

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अल्फाज लाऊँ कहाँ से जो माँ की

हस्ती को बयान कर सकेंगे,

पूरी किताब है माँ उसे कुछ चंद

शब्दों में कैसे समेट सकेंगे।


जिसे देख के चेहरे पे मुस्कराहट आ जाए

जिसे सोच के ही बस दिल को सुकून आ जाए 

वो प्यारा चहेरा है माँ का।


माँ की आँचल में मिलने वाला सुकून कही और नहीं,

माँ की ममता जैसा कही और कोई मेल नहीं ।


जिसकी हर डाँट में भी प्यार है,

वो तो ताप्ती हुई धुप में भी शांव है।


टूट के तो देखे कोई माँ के आँचल में 

वो हर टूटे टुकड़े को समेट देती है 

हर घाव की बस वही मलम है।

बच्चों की फ़िक्र करना तो जैसे उसका वही धरम है।


कहते है लोग सभी कर्जदार रहेंगे माँ के कोक के, 

पर कहती हुँ मैं की माँ की कोक का कोई सौदा नहीं,

माँ की कोक का कोई मोल नहीं 

उसका तो हर दागा हमसे अनमोल है।


दुनिया की नजरो में तो एक वक़्त बाद बच्चें पराये होते है,

बेटा बहू का तो बेटी दामाद की होती है।

पर कैसे समझाए यह बात माँ खुद को

जिसने अपने हर खून के कतरे से उनको सींचा है,

अपनी रूह में माँ ने अपने बच्चों को समाया है।


माँ तो माँ होती है उसका कोई भेद नहीं 

फिर वो इंसान की हो याँ पशु प्राणी की 

या चाहे वो क्यों ना हो धरती

माता हमारे देश भारत की। 


मनिषा करती सलाम है माँ तुझे 

तुने पूरा जहाँन है अपने में समाया 

शुक्रिया उस खुदा का जिसने

माँ जैसी महान हस्ती को बनाया।


नमन है हर माँ को,

नमन है मेरी भारत माँ को।


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