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Shweta Grover

Others

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Shweta Grover

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क्यूँ सुनामी नहीं आता !

क्यूँ सुनामी नहीं आता !

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यूं ही नहीं हर बात पे मुस्कुरा दिया करता हूं मैं

बिखरा पड़ा हूं अंदर से, ये बात जताना नहीं आता


आजकल बातें बहुत करने लगा हूं मैं

मगर ज़ुबां पर वो कहानी नहीं आती


करने को तो कर दूँ बर्बाद तुम्हें पल भर में

मगर यूं किसी की रूह हमें सताना नहीं आता


धोखे भी बहुत खाए हैं, और ज्यादा उम्र भी नहीं है

वो क्या है ना, कि रो कर हमें बातें मनवाना नहीं आता


इश्क़ तो आज कर लें किसी भी जिस्म से हम

मगर जो तुझ संग आती थी, वो आसानी नहीं आती


अक्सर आँखें भर आती थी तुम्हारी ही

ग़लती पर हमारी

हमें तुम्हारी तरह बातें घुमाना नहीं आता


बहुत सी हस्तियां मिलती है दिन भर में हमें

मगर हमें हर किसी को आँखें पढ़ाना नहीं आता


भोले से हैं हम जो आ जाते हैं नखरों में तुम्हारे

तुम्हारी तरह बातें हमें सयानी नहीं आती


ख़्वाब तो देख ही लेते हैं रात भर

ये तो नींद है जो हमें बुलानी नहीं आती


ज़हर, गालियाँ, ताने जाने कितने खाए हैं

तू वो ठोकर है जो हमें खाना नहीं आता


हम तो रोज़ ही चले जाते थे मैखानों में मगर

वो जो साकी है, उसे पिलाना नहीं आता


तुम्हारी यादों का सैलाब रोज़ ही चला

आता है आँखों में हमारी

अरे मैं ये पूछता हूं कि क्यूँ सुनामी नहीं आता

क्यूँ सुनामी नहीं आता !


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