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Sumit Giri

Others

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Sumit Giri

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कविता

कविता

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दूर भी जाएंगे हम ये वादा रहा 

दिल भी लगाएंगे हम ये वादा रहा 


हकीकत में तेरे हम जो हो ना सके 

ख्वाब में आएँगे हम ये वादा रहा 


क्या हुआ आज सबने जो ठुकरा दिया 

सबको ठुकराएँगे हम ये वादा रहा 


शहरों में तो मोहब्बत टिकती नहीं 

गाँव को जाएंगे हम ये वादा रहा.. 


सबको अपना समझ के बैठे थे हम 

होश में आएँगे हम ये वादा रहा 


दिल से तेरे निकल के कहीं के ना रहे 

घुट के मर जाएंगे हम ये वादा रहा


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