कविता की कहानी
कविता की कहानी
आजकल कोयल की बोली में सुमधुर राग
की तान नहीं छिड़ती,
अगर छिड़ती भी हों तो वो चमकते बालियों सी
तारीफियाँ उसके कानों पर नहीं सजती,
आजकल का सूरज लालिमा के रंग से
सराबोर चादर ओढ़ कर नहीं आता,
कौन जाने आता भी हो क्योंकि भागदौड़
की काली धुंध में आजकल कोई उसका
हाल नहीं बताता,
आजकल रिक्शे में बैठे खयालों की महफिल
नहीं जमती,
क्या करें ये मचलते ख़्वाब जा भी तो नहीं सकते
उस छोटे से स्मार्टफोन डिब्बे में जहाँ आजकल
सबकी सुबह से शब है कटती,
इन खयालों का ठिकाना तो वो है, जहां एक रईस
पे
ड़ की टहनियों से पत्तों के अनेक नोट सीढ़ी दर
सीढ़ी हौले से उतरते हैं,
कुछ एक मन उदास लिए, तो कुछ अंत में डूब
जाने की प्यास लिए कोना कोना खोज कर बिखरते हैं,
ख्याल तो तुम को वहाँ मिलेंगे जहाँ समेट कर रखी
रेत को भी छोटी मुट्ठी से बच्चे चुनते हैं,
ख्याल तो तुम को वहाँ मिलेंगे जहाँ कुछ लेखक ज़िंदगी की
कविता से कहानी और जिंदगी कहानी से कविता बुनते हैं,
पर ख्याल भी तुम को कहाँ मिलेंगे जब आँखों से सब
हकीक़त ही चुनते हैं,
ख्याल भी तुम को कहाँ मिलेंगे जब यहाँ लोग कविता ही
नहीं सुनते हैं।